Skip to main content

Posts

क्या कहुं कि तू वापस आ जाए,

 क्या कहुं कि तू वापस आ जाए, और देख, हाल मेरा, बस वही रूक जाए। बता, तेरी बात को क्या कभी नकारा है जता नही पाया, पर क्या कभी, मुझको नहीं आजमाया है। अच्छा बस...... छोड़ दी सारी ज़िद, मानूगा हर तेरी बात, एक बार कहती क्यों नही, सताती है तुझे भी मेरी याद। पता है ? ख़ामोशी नही सुनता मेरी अब कोई, –२ पागल सा...अंधेरों में तुझे ढूंढता हूं, जैसे उझाला कोई। अगर कह दू कि मुझे भी मौत आ जाए, तो क्या ये सुनके, तू वापस आ जाए ? बता ना......क्या कहूं कि तू वापस आ जाए..... तू वापस आ जाए।। x
Recent posts

तेरी सुबह, भी ऐसी होती थी

 तेरी सुबह, भी ऐसी होती थी जो शुरू, मुझी से होती थी। और सपनो से बिछड़ते ही, ख्याल तुझे जो आता था, उसका सीधा पथ, ओर मूझी को जाता था। तब देख मुझे, मुस्कान तुझे जो आती थी,  मानो तेरे सपनो की, अधूरी अभी कहानी थी। पर अब, ऐसी सुबह न मेरी होती है, होती, तो केवल खामोशी है। जिसे, भेद न पाता कोई शोर है, रहता, तो केवल मेरा मौन है। अब भी है, मुझे उस रोज की चाहत, जब होती थी, तेरे आने की आहट। जो निश्चय ही, आज नही तो कल होगी, यहां नहीं, तो वहां होगी।।~२ x