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Showing posts from February, 2023

क्या कहुं कि तू वापस आ जाए,

 क्या कहुं कि तू वापस आ जाए, और देख, हाल मेरा, बस वही रूक जाए। बता, तेरी बात को क्या कभी नकारा है जता नही पाया, पर क्या कभी, मुझको नहीं आजमाया है। अच्छा बस...... छोड़ दी सारी ज़िद, मानूगा हर तेरी बात, एक बार कहती क्यों नही, सताती है तुझे भी मेरी याद। पता है ? ख़ामोशी नही सुनता मेरी अब कोई, –२ पागल सा...अंधेरों में तुझे ढूंढता हूं, जैसे उझाला कोई। अगर कह दू कि मुझे भी मौत आ जाए, तो क्या ये सुनके, तू वापस आ जाए ? बता ना......क्या कहूं कि तू वापस आ जाए..... तू वापस आ जाए।। x

तेरी सुबह, भी ऐसी होती थी

 तेरी सुबह, भी ऐसी होती थी जो शुरू, मुझी से होती थी। और सपनो से बिछड़ते ही, ख्याल तुझे जो आता था, उसका सीधा पथ, ओर मूझी को जाता था। तब देख मुझे, मुस्कान तुझे जो आती थी,  मानो तेरे सपनो की, अधूरी अभी कहानी थी। पर अब, ऐसी सुबह न मेरी होती है, होती, तो केवल खामोशी है। जिसे, भेद न पाता कोई शोर है, रहता, तो केवल मेरा मौन है। अब भी है, मुझे उस रोज की चाहत, जब होती थी, तेरे आने की आहट। जो निश्चय ही, आज नही तो कल होगी, यहां नहीं, तो वहां होगी।।~२ x

तू अगर आयेगी तो तुझे सब बताऊंगा

 तू अगर आयेगी तो तुझे सब बताऊंगा तू अगर आयेगी तो तुझे सब बताऊंगा बताऊंगा की सर्दी बहुत है इस बार, और मैने जैकेट नही पहना। थोड़ा दर्द है पेट में, तो रात का खाना नही खाया। परीक्षा है, अगले महीने, और कुछ समझ नहीं आ रहा। तू अगर आयेगी तो तुझे सब बताऊंगा, और मुझे बस देखती मत रहना, जब मैं सुनाऊंगा। बताना है कि मुझे अब घर जाना भी अच्छा नहीं लगता, आने का कहते सब है, पर किसी को बुलाना नही आता। तू तो समझ जाती थी फोन पर बिना कहे ही, पर सुनता नहीं अब कोई कहने से भी। इसलिए मिलेगी जब तू, तो बताऊंगा तूझे पर करनी है, सबकी पहले शिकायते। जब आए तो सुनना तू सबसे पहले मेरी ही, क्योंकि मिला है तेरा प्यार सबसे कम मुझे ही। x

भारी सा है मन,

  भारी सा है मन, जा कहीं ठहरा सा है। रखा है कैद, उन ख्वाहिशों सा है। हो जाए, रिहा भी एक दिन एक मासूम, सपने सा है। मगर धुंधले है, ये दूर के सपने, शायद दोष, उम्र के तकाज़े का है।। x

कुछ नजदीकियां होने दे, कुछ अल्फाज़ होने दे,

कुछ नजदीकियां होने दे, कुछ अल्फाज़ होने दे, तेरी और मेरी कहानी का, कुछ तो अंजाम होने दे। जी रहा है, सिसकियों में जो एहसास, बेशुमार होने दे।

जरा ठहर जा, कुछ कहना अभी बाकी है

 जरा ठहर जा,  कुछ कहना अभी बाकी है, बिछड़ना तो हो गया,  एक मुलाकात अभी बाकी है। जिस रोज तुझे जो देखा था, वो कहानी अभी बाकी है, एक मुलाकात अभी बाकी है। रूठने और मनाने की, एक रात अभी बाकी है, एक मुलाकात अभी बाकी है। तीन शब्द हमने भी है, छिपाए सबसे, जिनका सुनना, सुनाना अभी बाकी है। एक मुलाकात अभी बाकी है।

कल का छिपता सूरज

  कल का छिपता सूरज, साक्षी है, उनके अरमानों का। मुट्ठी भर अपनी दौलत से, ताकते मुंह दुकानों का। फटी सिक्कों की पोटली में, झिझक ही सिर्फ रह जाती है, थामे नन्हे हाथों को, वो लौट कई बार आती है। जब आज के उगते सूरज में, उसको मनचाहा पाना है, छोड़ उन नन्हे हाथों को, उसे लौट कही और जाना है।

REINCARNATION

  Reincarnation यानि पुनर्जन्म। क्या आप पुनर्जन्म मे मानते है? निसंदेह अगर आप आस्तिक है तो शायद 95 प्रतिशत लोग मानते है। क्या आप्ने कभी आत्म मनन किया है की हम सभी जीते है और मरते है अपनी अपनी सोचे हुवे मकसद को लेकर। लेकिन क्या यही हमारे जीवन का मकसद होता है जिसका हम चुनाव करते है ? अगर नही तो हमारे जीवन मरण के चक्रव्यूह का औचित्य क्या है?  क्या आप्ने कभी सोचा है की वर्तमान समय मे इन्सान की उम्र औसतन 60-70 के बीच ही सिमट कर रह गई है? इस समय के दौरान जब हम अपनी समझ पकडते है तब हमे जीने के लिये भागना पड्ता है और अन्त मे मरने का समय आ जाता है। तो क्या यही हमारे जीवन का उद्देश्य है “जीना”? अधिकतर लोगो का मान्ना है की ये भागना ही जीना होता है। परंतु क्या आपको कभी एसा नही लगता की हम कही फस गए है जेसे किसी वीडियो गेम की तरह, गेम ओवर होने पर जेसे हम पहली स्टेज पर आ जाते है वैसे ही हमारे मरने के बाद शुरु से (हिन्दु शास्त्र के अनुसार) हमे जीवन शुरु करना होता है। इस प्रक्रिया का क्या कोई अन्त है? जैसा की हमारा विषय पुनर्जन्म पर है। इस कोरोना महामारी मे हमने अप्ने किसी ने किसी अजीज को खोया है तब हम

SATISFACTION

  संतोष/संतुष्टि, इस नश्वर जीवन को कम दुखद बनाने के लिए बहुत जरुरी है। सोचता हू की मैं काश किसी जादू से समय के पीछे जा पाता और उन पलो मे वापस जी सकता जिनमे मेने असन्तोष के कारण उन खुबसूरत लम्हो को नही जीया और कुछ ना कुछ पाने और, और की तलाश मे भटकता रहा। काश मे उन पलो मे जाकर वापस जीऊ और सिर्फ जीऊ, इसके अलावा और कुछ ना सोचू तो शायद आज मुझे खेद नही होता जो मुझे मेरे अन्तिम समय तक रहेगा। और मुझे यह भी पता है की मैं या आप इस असन्तोष से कभी नही बच सकते। हम भविष्य नही देख सकते लेकिन भूतकाल देख सकते है अपनी यादो मे, जो सबसे पीड़ादायक है। आखिर हमे संतोष क्यो नही होता? क्यू हम हमेशा कुछ पाने की लालसा मे, वर्तमान मे चल रही अनमोल चीजो को नजरअंदाज कर देते है, जिससे ना हमे संतोष होता है और ना वो पल मिलते है जो हमने गव दिये। जब हम नादान बालक होते है जिस अवस्था मे हमे कोई समझ नही होती उस समय भी हमे संतोष नही होता, जैसे जब कोई बच्चा किसी खिलौने के लिए रोता है जबकि उसके पास पहले से ही अन्य खिलौने होते है लेकिन वह फिर भी रोता है और उसे पाकर ही चुप होता है, इस समय भी वह संतुष्ट होना चहता है लेकिन क्या वह