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क्या कहुं कि तू वापस आ जाए,

 क्या कहुं कि तू वापस आ जाए,
और देख, हाल मेरा, बस वही रूक जाए।
बता, तेरी बात को क्या कभी नकारा है
जता नही पाया, पर क्या कभी, मुझको नहीं आजमाया है।
अच्छा बस...... छोड़ दी सारी ज़िद, मानूगा हर तेरी बात,
एक बार कहती क्यों नही, सताती है तुझे भी मेरी याद।
पता है ? ख़ामोशी नही सुनता मेरी अब कोई, –२
पागल सा...अंधेरों में तुझे ढूंढता हूं, जैसे उझाला कोई।
अगर कह दू कि मुझे भी मौत आ जाए,
तो क्या ये सुनके, तू वापस आ जाए ?
बता ना......क्या कहूं कि तू वापस आ जाए..... तू वापस आ जाए।।
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