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ABOUT ME

Hi, I’m Anonymous. Previously a disaster has changed my life and my perceptive of life , I became a freelance writer in 2021 who’s writing about life the way i see. When I’m not doing my job and feel kinda alone, I wrote down my thoughts.

 

LIFE IS NOT ABOUT BEING ALIVE. WE ARE ALL STUCKED IN HELL ALREADY.

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SATISFACTION

  संतोष/संतुष्टि, इस नश्वर जीवन को कम दुखद बनाने के लिए बहुत जरुरी है। सोचता हू की मैं काश किसी जादू से समय के पीछे जा पाता और उन पलो मे वापस जी सकता जिनमे मेने असन्तोष के कारण उन खुबसूरत लम्हो को नही जीया और कुछ ना कुछ पाने और, और की तलाश मे भटकता रहा। काश मे उन पलो मे जाकर वापस जीऊ और सिर्फ जीऊ, इसके अलावा और कुछ ना सोचू तो शायद आज मुझे खेद नही होता जो मुझे मेरे अन्तिम समय तक रहेगा। और मुझे यह भी पता है की मैं या आप इस असन्तोष से कभी नही बच सकते। हम भविष्य नही देख सकते लेकिन भूतकाल देख सकते है अपनी यादो मे, जो सबसे पीड़ादायक है। आखिर हमे संतोष क्यो नही होता? क्यू हम हमेशा कुछ पाने की लालसा मे, वर्तमान मे चल रही अनमोल चीजो को नजरअंदाज कर देते है, जिससे ना हमे संतोष होता है और ना वो पल मिलते है जो हमने गव दिये। जब हम नादान बालक होते है जिस अवस्था मे हमे कोई समझ नही होती उस समय भी हमे संतोष नही होता, जैसे जब कोई बच्चा किसी खिलौने के लिए रोता है जबकि उसके पास पहले से ही अन्य खिलौने होते है लेकिन वह फिर भी रोता है और उसे पाकर ही चुप होता है, इस समय भी वह संतुष्ट होना चहता है लेकिन क्य...

जरा ठहर जा, कुछ कहना अभी बाकी है

 जरा ठहर जा,  कुछ कहना अभी बाकी है, बिछड़ना तो हो गया,  एक मुलाकात अभी बाकी है। जिस रोज तुझे जो देखा था, वो कहानी अभी बाकी है, एक मुलाकात अभी बाकी है। रूठने और मनाने की, एक रात अभी बाकी है, एक मुलाकात अभी बाकी है। तीन शब्द हमने भी है, छिपाए सबसे, जिनका सुनना, सुनाना अभी बाकी है। एक मुलाकात अभी बाकी है।

REINCARNATION

  Reincarnation यानि पुनर्जन्म। क्या आप पुनर्जन्म मे मानते है? निसंदेह अगर आप आस्तिक है तो शायद 95 प्रतिशत लोग मानते है। क्या आप्ने कभी आत्म मनन किया है की हम सभी जीते है और मरते है अपनी अपनी सोचे हुवे मकसद को लेकर। लेकिन क्या यही हमारे जीवन का मकसद होता है जिसका हम चुनाव करते है ? अगर नही तो हमारे जीवन मरण के चक्रव्यूह का औचित्य क्या है?  क्या आप्ने कभी सोचा है की वर्तमान समय मे इन्सान की उम्र औसतन 60-70 के बीच ही सिमट कर रह गई है? इस समय के दौरान जब हम अपनी समझ पकडते है तब हमे जीने के लिये भागना पड्ता है और अन्त मे मरने का समय आ जाता है। तो क्या यही हमारे जीवन का उद्देश्य है “जीना”? अधिकतर लोगो का मान्ना है की ये भागना ही जीना होता है। परंतु क्या आपको कभी एसा नही लगता की हम कही फस गए है जेसे किसी वीडियो गेम की तरह, गेम ओवर होने पर जेसे हम पहली स्टेज पर आ जाते है वैसे ही हमारे मरने के बाद शुरु से (हिन्दु शास्त्र के अनुसार) हमे जीवन शुरु करना होता है। इस प्रक्रिया का क्या कोई अन्त है? जैसा की हमारा विषय पुनर्जन्म पर है। इस कोरोना महामारी मे हमने अप्ने किसी ने किसी अजीज को खोया...